स्वामी विवेकानंद ने विवाह क्यों नहीं किया और क्यों वह इतने अधिक प्रसिद्ध है

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी सन् 1863 को कोलकाता में हुआ। मात्र 39 साल की उम्र में 4 जुलाई 1902 को उनका निधन हो गया। आइए जानते हैं उनके विवाह न करने का कारण और क्यों वह इतने अधिक प्रसिद्ध है।
स्वामी विवेकानंद के पिता श्री विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे। उनकी माता भुवनेश्वरी देवी एक गृहणी और भगवान शिव जी की भक्त थी। 1884 में उनके पिता का निधन होने के बाद घर की आर्थिक दशा, संपत्ति विवाद होने और भूख से विवेकानंद लगभग टूट गए थे। परिवार के पालन-पोषण की जिम्मेदारी होने के कारण उनको चिंता होने लगी थी। ऐसा नहीं कि उनके पास विवाह के प्रस्ताव नहीं आये। उनके पास विवाह के कई प्रस्ताव आए लेकिन उन्होंने विवाह करने से इनकार कर दिया। एक धनवान महिला ने भी उनसे विवाह का प्रस्ताव रखा और कहा कि आपकी सभी आर्थिक तंगी दूर हो जाएगी। परन्तु विवेकानंद को यह दहेज लेने जैसा लगा। उन्होंने विवाह करने से इनकार कर दिया। उनकी माँ ने भी उनका समर्थन किया। उनका मन अध्यात्म की ओर कुछ ज्यादा ही मुड़ गया था। इसके बाद में रामकृष्ण परपहंस ने उन्हें संभाला ।
स्वामी विवेकानंद के प्रसिद्ध होने के तीन कारण हैं। पहला वे श्रीरामकृष्ण परमहंस जी के परम शिष्य थे। दूसरा यह की उन्होंने अमरीका के इलिनाय प्रांत का शिकागो शहर में जो भाषण दिया था जिसके चलते वे लोकप्रिय हुए और तीसरा वे युवाओं के संन्यासी है। सबसे ज्यादा प्रसिद्धि उनको शिकागो में दिए अपने भाषण से मिली। जिस भाषण में उन्होंने शुरुआत में कहा, "अमेरिका के भाइयों और बहनो"।