विजयादशमी पर बन रहे हैं बहुत ही शुभ योग, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

विजयादशमी पर बन रहे हैं बहुत ही शुभ योग, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

विजयादशमी पर बन रहे हैं बहुत ही शुभ योग, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

हिंदू धर्म में, दशहरा का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व के रूप में मनाया जाता है। हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक दशहरा का त्योहार भी है। यह पूरे देश में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है और लोग इस दिन को रावण पर भगवान श्री राम की जीत के रूप में मनाते हैं, इसलिए 'दशहरा' के पर्व को 'विजयदशमी' के नाम से भी जाना जाता है।
यह पर्व हर वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा की आराधना के बाद यह पर्व मनाया जाता है, जिसमें पुरे देश भर में जगह-जगह रावण दहन किया जाता है और घर में विशेष पूजा भी की जाती है।

तो आइए जानते हैं, इस वर्ष दशहरा का पर्व कब मनाया जाएगा और किस मुहूर्त में पूजन शुभ रहेगा?

दशहरा 2022 तारीख (तिथि) और शुभ मुहूर्त:

•    हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 5 अक्टूबर बुधवार को पड़ रही है,  इसलिए इस दिन दशहरा पर्व मनाया जाएगा।

•    आश्विन मास की दशमी तिथि 4 अक्टूबर, मंगलवार दोपहर 02:21 बजे से प्रारंभ हो रही है

•    आश्विन मास की दशमी तिथि समाप्त - 5 अक्टूबर, बुधवार दोपहर 12 बजे तक

•    उदय तिथि के अनुसार 5 अक्टूबर को दशहरा मनाना शुभ रहेगा।

ये शुभ योग बन रहे हैं विजयादशमी पर-

इस बार अमृत काल और दुर्हुमूरता दशहरे के दिन बनने वाले दो शुभ योग हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने के लिए इन दोनों शुभ मुहूर्तों को सबसे अच्छा माना जाता है।

दशहरा क्यों मनाया जाता है?

दशहरा दसवें दिन यानी 9 दिनों की शारदीय नवरात्रि के समापन के ठीक बाद मनाया जाता है। बुराई के प्रतीक रावण का पुतला जलाकर और श्री राम जी की जीत पर खुशी जाहिर करके इस पर्व को मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस त्योहार को महिषासुर राक्षस पर देवी दुर्गा की जीत का प्रतीक भी माना जाता है।

क्या है दशहरा पर्व का महत्व:
दशहरा पर्व हिंदुओं के मनाये जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है। मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम जी ने रावण का वध उसके पापों का नाश करने के लिए किया था। यह त्योहार रावण के वध और भगवान राम जी की जीत के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह त्योहार असत्य पर सत्य की जीत के रूप में मनाया जाता है और यह त्योहार हमेशा सत्य की जीत का प्रतीक है। दशहरे के दिन रावण के साथ उसके भाई कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले भी जलाए जाते हैं। इन सभी पुतलों को जलाना नकारात्मकता को दूर करने का प्रतीक माना जाता है।

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दशहरे के दिन ऐसे करें पूजा:

•    अगर आप नवरात्रि के 9 दिनों तक व्रत रखते हैं तो दशहरे के दिन व्रत तोड़ सकते हैं।

•    इस दिन मुख्य रूप से शमी पौधे की पूजा करनी चाहिए।

•    विजयादशमी की पूजा के लिए गाय के गोबर के 5 पुतले बनाकर उस पर पीले फूल चढ़ाएं और घर की सुख-  समृद्धि की कामना करें।

•    इस दिन घर के शस्त्रों की पूजा करने का भी विधान है और पीले फूल या हरसिंगार के फूल चढ़ाने चाहिए।

•    इस दिन मुख्य रूप से देवी लक्ष्मी की पूजा करें और लाल सिंदूर चढ़ाएं।

•    घर की सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते हुए रावण के पुतले का दहन करें।

मान्यता है कि दशहरे के दिन यदि आप नीलकंठ पक्षी को देख लें तो आपका भावी जीवन सुखमय हो सकता है। इस दिन घर को पूरी श्रद्धा से सजाएं और भगवान से समृद्धि की प्रार्थना करें।