जानिए आज भाद्रपद संकष्टी चतुर्थी का महत्व, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि

जानिए आज भाद्रपद संकष्टी चतुर्थी का महत्व, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि
जानिए आज भाद्रपद संकष्टी चतुर्थी का महत्व


हिंदू कैलेंडर के अनुसार संकष्टी चतुर्थी व्रत भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इसे हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी, बहुला संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश जी की पूजा करने का विधान है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा के साथ-साथ व्रत करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। जानिए भाद्रपद संकष्टी चतुर्थी की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

संकष्टी चतुर्थी का महत्व:

संकष्टी चतुर्थी के पावन दिन चंद्र दर्शन का विशेष महत्व है। भगवान गणेश जी की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और वे एक समृद्ध जीवन व्यतीत करते हैं। संतानहीन दंपत्ति भी संतान प्राप्ति के लिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखती हैं।

भाद्रपद संकष्टी चतुर्थी 2022 का शुभ मुहूर्त:

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि प्रारंभ - 14 अगस्त, रविवार रात 10:35 बजे से

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का समापन- 15 अगस्त सोमवार को रात्रि 09:01 बजे तक

चूंकि 15 अगस्त उदय तिथि को है इसलिए इस दिन ही व्रत रखा जाएगा।

चंद्रोदय का समय- 15 अगस्त रात 09:27 बजे होगा

अभिजीत योग- सुबह 11:59 बजे से दोपहर 12.52 बजे तक।

धृति योग- 15 अगस्त सुबह से 11:24 बजे तक

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि:

1. गणेश चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर सभी दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान कर लें।
2. स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद श्री गणेश का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
3. अब गणेश जी की पूजा शुरू करें।
4. सबसे पहले फूलों से जल चढ़ाएं।
5. अब भगवान गणेश को फूल, माला, दूर्वा घास चढ़ाएं।
6. फिर सिंदूर और अक्षत लगाएं।
7. गणपति जी को मोदक या अपनी पसंद की कोई भी मिठाई खिलाएं।
8. अब दीपक और धूप जलाने के बाद भगवान गणेश चालीसा और मंत्रों का जाप करें।
9. अंत में विधिवत पूजा कर गलती के लिए क्षमा मांग लें।
10. पूरे दिन उपवास के बाद शाम को चंद्रोदय से पहले एक बार फिर गणपति जी की विधिवत पूजा करें।
11. चंद्रोदय के समय चंद्र देव को जल अर्पित करने के बाद फूल, फल और दूध से बनी चीजें चढ़ाएं।
12. पूजा पूरी करने के बाद प्रसाद लेकर व्रत खोलें।