जानिए नाग पंचमी मुहूर्त, नाग पंचमी व्रत पूजा विधि और कौन सी 8 परम्परायें इस त्योहार को खास बनाती है।

जानिए नाग पंचमी मुहूर्त, नाग पंचमी व्रत पूजा विधि और कौन सी 8 परम्परायें इस त्योहार को खास बनाती है।
nag panchami 2022

जानिए नाग पंचमी मुहूर्त, नाग पंचमी व्रत पूजा विधि और कौन सी 8 परम्परायें इस त्योहार को खास बनाती है।

नाग पंचमी 2022: नाग पंचमी का पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। अंग्रेजी कलैण्डर के अनुसार यह पर्व 2 अगस्त 2022 मंगलवार को मनाया जाएगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग हैं। इस दिन मुख्य रूप से नागों की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं इस त्योहार के बारे में शुभ मुहूर्त, नाग पंचमी व्रत पूजा विधि और कौन सी 10 परंपराएं इस त्योहार को खास बनाती हैं।

नाग पंचमी मुहूर्त

1. श्रावण शुक्ल पंचमी को नागव्रत (नाग पंचमी व्रत) किया जाता है।
2. यदि दूसरे दिन पंचमी तीन मुहूर्त से कम हो और पहले दिन चतुर्थी के साथ तीन मुहूर्त से कम हो तो यह व्रत पहले दिन ही किया जाता है।
3. यह भी माना जाता है कि यदि पहले दिन पंचमी के साथ चतुर्थी हो जो तीन से अधिक मुहूर्तों तक चलती है, तो यह व्रत दूसरे दिन भी पंचमी को किया जा सकता है जो दो मुहूर्त तक रहता है।

नाग पंचमी व्रत और पूजा विधि

1. इस व्रत के देवता आठ नाग माने जाते हैं। इस दिन अनंत, वासुकी, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, करकट और शंख नाम के अष्टनागों की पूजा की जाती है।
2. चतुर्थी के दिन एक बार ही भोजन करना चाहिए और पंचमी को उपवास करके शाम को खाएं।
3. पूजा के लिए लकड़ी की चौकी के ऊपर सर्प चित्र या मिट्टी की साँप की मूर्ति स्थापित की जाती है।
4. फिर सर्प देव को रोली लाल सिंदूर, हल्दी, चावल और फूल चढ़ाएं।
5. इसके बाद लकड़ी के पट्टे पर बैठे नाग देवता को कच्चा दूध, घी और चीनी मिलाकर चढ़ाएं।
6. नाग देवता की पूजा करने बाद उनकी आरती की जाती है।
7. सुविधा के लिए किसी सपेरे को थोड़ी दक्षिणा देकर सांप को यह दूध पिलाया जा सकता है।
8. और अंत में नाग पंचमी की कथा अवश्य सुननी चाहिए।

नोट: परंपरा के अनुसार, कई राज्यों में चैत्र और भाद्रपद शुक्ल पंचमी को नाग पंचमी भी मनाई जाती है। देश के लोकाचार या विशिष्टता के कारण, यह त्योहार कृष्ण पक्ष में भी मनाया जाता है।

नाग पंचमी की 8 परंपराएं जो इस दिन को खास बनाती हैं

1. बांबी की पूजा : इस दिन बांबी नाग की भी पूजा करें। किसान अपनी नई फसल का उपयोग तब तक नहीं करते जब तक की वे नए अनाज के साथ सांप की बांबी को रोट नहीं चढ़ाते। इस दिन जुताई या हल चलाना वर्जित होता है।

2. ग्रह दोष पूजा: इस दिन कुंडली के नागदोष, कालसर्प दोष और विष योग की पूजा भी की जाती है.

3. नाग आकार: नाग पंचमी के दिन घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर, गेरू या मिट्टी से सांप की आकृति बनाकर उसकी विधिवत पूजा करें। इससे जहां आर्थिक लाभ होगा वहीं घर में काल सर्प दोष से उत्पन्न होने वाली विपदाएं भी टल जाएंगी।

4. चांदी के नाग-नागिन की पूजा: इस दिन चांदी के नाग-नागिन की पूजा की जाती है। यदि चांदी के नाग नागिन न हो तो एक बड़ी रस्सी में सात गांठ बांधकर सांप के रूप में उसकी पूजा करते है।

5. नाग मंदिर में जाकर पूजा करना: इस दिन किसी भी नाग मंदिर या स्थान के दर्शन का अधिक महत्व होता है। नागचंद्रेश्वर मंदिर उज्जैन, करकोटक मंदिर उज्जैन, वासुकी नाग मंदिर प्रयागराज, तक्षकेश्वर नाथ प्रयागराज, मन्नारशाला नाग मंदिर, केरल, कर्कोटक नाग मंदिर भीमताल, धौलिनग मंदिर, उत्तराखंड बागेश्वर, नाग मंदिर, पटनीटॉप, नागपुर नाग मंदिर इंदौर, भीलत देव मंदिर, मंदिर मप्र बड़वानी जैसी जगहों का विशेष महत्व है।

6. आस्तिक देव की पूजा करना: इस दिन मनसादेवी के पुत्र आस्तिक की पूजा की जाती है, जिन्होंने अपनी माता की कृपा से नागों को जनमेयज के यज्ञ से बचाया था। नाग पंचमी के दिन घर की बाहरी दीवारों पर सांपों से बचाव के लिए 'आस्तिक मुनि की दुहाई' नाम का वाक्य लिखा होता है। ऐसा माना जाता है कि इस वाक्य को घर की दीवार पर लिखने से सांप उस घर में प्रवेश नहीं करता है और सांप के काटने का डर नहीं होता है।

7. भोजन : इस दिन तवा और लोहे के तवे आदि पर भोजन नहीं पकाया जाता है। इस दिन साग-सब्जी काटना भी मना है। भोजन को कुछ खास तरह से बनाकर खाते हैं।

8. सुई धागा: इस दिन सुई के धागे से कोई सिलाई भी नहीं करते है। इस दिन जमीन की खुदाई न करें।