जानिए कब है कामदा एकादशी? इस व्रत को करने से जानिए क्या लाभ मिलते है?

जानिए कब है कामदा एकादशी? इस व्रत को करने से जानिए क्या लाभ मिलते है?
Kamda Ekadashi 2021

हर माह में दो एकादशियां होती है। इसका मतलब होता है कि हर माह में दो बार एकादशी आती है यानी एक वर्ष में 24  एकादशी आती है जिसका नियमपूर्वक व्रत रखना चाहिए। हालांकि प्रत्येक तीसरे वर्ष अधिकमास होने से 2 एकादशियां जुड़कर ये कुल 26 होती हैं। चैत्र माह में पापमोचिनी और कामदा एकादशी आती है। पापमोचिनी एकादशी व्रत से पाप का नाश होता है और संकटों से मुक्ति मिलती है। कामदा एकादशी 23 अप्रैल 2021 को है।

ज्योतिष के अनुसार हर माह में दो पक्ष होते है कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी व्रत किया जाता है। इसी प्रकार हर पन्द्रहवे दिन एकादशी का पड़ता है।  एक माह में दो एकादशी और पूरे वर्ष यानि 12 माह में 24 एकादशी तिथियां आती हैं।  हमारे सनातन धर्म में एकादशी को हर व्रत से सर्वश्रेठ माना गया है। एकादशी का व्रत ग्यारहवीं तिथि को किया जाता है यही वजह है कामदा एकादशी का व्रत रामनवमी के एक दिन बाद में अर्थात 23 अप्रैल 2021 के दिन शुक्रवार को किया जाएगा। एकादशी के व्रत के दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार इस बार कामदा एकादशी पर सात शुभ मुहूर्त बन रहे है। आज के लेख में जानिए कामदा एकादशी व्रत का महत्व और शुभ मुहूर्त।

जानिए कामदा एकादशी व्रत का महत्व:

पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कामदा एकादशी का व्रत करने से राक्षस योनि से छुटकारा मिलता है।  ऐसा माना जाता है कि सुहागन स्त्रियां यदि कामदा एकादशी का व्रत करती है तो  उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से  जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। एकदाशी  व्रत के प्रभाव से घर में सुख शान्ति बनी रहती है।

जानिए कामदा एकादशी करने के लाभ?

  • कामदा एकादशी से राक्षस आदि की योनि से छुटकारा मिलता है।
  • सर्वकार्य सिद्धि और सभी कामनाओं को पूर्ण करती है।

ऐसा माना जाता है कि एकादशी व्रत को करने से बहुत से फायदे मिलते है, जानिए क्या

एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को निरोगी रहता है। उस व्यक्ति को भूत पिशाच आदि की योनि से चुकारा मिलता है। पापों का नाश होता है, संकटों से मुक्ति मिलती है, सर्वकार्य सिद्ध होते हैं, सौभाग्य प्राप्त होता है, मोक्ष मिलता है, विवाह बाधा समाप्त होती है, धन और समृद्धि आती है, शांति मिलती है, मोह-माया और बंधनों से मुक्ति मिलती है, हर प्रकार के मनोरथ पूर्ण होते हैं, खुशियां मिलती हैं, सिद्धि प्राप्त होती है, उपद्रव शांत होते हैं, दरिद्रता दूर होती है, खोया हुआ सबकुछ फिर से प्राप्त हो जाता है, पितरों को अधोगति से मुक्ति मिलती है, भाग्य जाग्रत होता है, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, पुत्र प्राप्ति होती है, शत्रुओं का नाश होता है, सभी रोगों का नाश होता है, कीर्ति और प्रसिद्धि प्राप्त होती है, वाजपेय और अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है और हर कार्य में सफलता मिलती है।

एकादशी तिथि शुभ मुहूर्त

  • कामदा एकादशी तिथि आरंभ - 22 अप्रैल 2021 को रात्रि 11 बजकर 35 मिनट से
  • कामदा एकादशी तिथि समाप्त - 23 अप्रैल 2021 को रात्रि 09 बजकर 47 मिनट तक
  • कामदा एकादशी व्रत पारणा मुहूर्त- द्वादशी तिथि यानि 24 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 47 मिनट से 8 बजकर 24 मिनट तक 

अवधि- 2 घंटे 36 मिनट

कामदा एकादशी के दिन बनने वाले शुभ मुहूर्त-

  • ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 23 अप्रैल 2021 को 04 बजकर 15 मिनट से लेकर 05 बजकर 03 मिनट तक।   
  • अभिजित मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक।
  • विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 17 मिनट से शाम 03 बजकर 09 मिनट तक।
  • गोधूलि मुहूर्त- संध्याकाल 06 बजकर 23 मिनट से 06 बजकर 47 मिनट तक। 
  • अमृत काल- मध्यरात्रि 12 बजकर 19 मिनट से 01 बजकर 49 मिनट यानि 24 अप्रैल तक।
  • निशिता मुहूर्त- रात 11 बजकर 45 मिनट से मध्यरात्रि 12 बजकर 29 मिनट यानि 24 अप्रैल तक।

एकदाशी तिथि के दिन क्या करे?

  • जैसा कि हम जानते है कि एकादशी तिथि के अनुष्ठान दशमी तिथि से ही आरंभ हो जाते हैं, दशमी तिथि को दोपहर का भोजन करके सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए ताकि आपके पेट में अन्न का अंश न रहे।

  • एकादशी तिथि को प्रातः जल्दी उठें और स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें।

  • इसके बाद भगवान विष्णु के समक्ष शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करें।
  • इसके बाद मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु का विधि-विधान के साथ पूजन करें।
  • विष्णु जी को तुलसी प्रिय हैं इसलिए उन्हें तुलसी भी अर्पित करें लेकिन एकादशी को तुलसी न तोड़ें।
  • द्वादशी तिथि यानि अगले दिन पूजा करने के बाद ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को भोजन कराएं और दान दक्षिणा दें। इसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें।

एकादशी के दिन 24 माला का कृष्णा महा मंत्र का जाप करना चाहिए

॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे

हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे॥

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