शिव और शक्ति के एक होने का प्रतीक है महाशिवरात्रि का पर्व, जानिए कैसे करे भोलेनाथ की आराधना

शिव और शक्ति के एक होने का प्रतीक है महाशिवरात्रि का पर्व, जानिए कैसे करे भोलेनाथ की आराधना
Mahashivratri 2021

हिन्दू धर्म में महाशिवरात्रि व्रत का बहुत ही विशेष महत्व होता है। भारतीय पंचांग के अनुसार ऐसा माना जाता है कि माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। महाशिवरात्रि के दिन शिव भक्त मंदिरों में शिवलिंग पर बेल पत्र आदि चढ़ाकर पूजा, व्रत और रात्रि जागरण करते है। एस्ट्रोलॉजी कंसल्टेंसी के अनुसार ऐसा माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करने वालों के सभी दुःख दूर हो जाते है। इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 11 मार्च 2021 गुरूवार को मनाया जाएगा।

महाशिवरात्रि व्रत शुभ मुहूर्त-

  • निशीथ काल पूजा मुहूर्त :24:06:41 से 24:55:14 तक।
  • अवधि :0 घंटे 48 मिनट।
  • महाशिवरात्रि पारणा मुहूर्त :06:36:06 से 15:04:32 तक।

जानिए महाशिवरात्रि की व्रत और पूजा विधि:

  1. महाशिवरात्रि की पूजा करने के लिए मिट्टी या ताम्बे के लोटे में पानी या फिर दूध भरकर ऊपर से बेलपत्र, आक धतूरे के फूल, चावल आदि शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए।
  2. महाशिवरात्रि के दिन शिवपुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मन्त्र ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए। साथ ही महाशिवरात्री के दिन रात्रि जागरण का भी विधान है।
  3. विश्व प्रसिद्ध ज्योतिष के अनुसार, महाशिवरात्रि का पूजा निशील काल में करना उत्तम माना गया है। हालांकि भक्त अपनी सुविधानुसार भी भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं।

जानिए महाशिवरात्रि की पौराणिक कथा

शिवरात्रि को लेकर हिन्दू धर्म में कई प्रकार की कथाएं प्रचलित है। उन सभी कथाओं में से एक कथा बहुत ही प्रचलित है, वो है कि माँ पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए घनघोर तपस्या की थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसके फलस्वरूप फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इसी कारण से महाशिवरात्रि को बेहद महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है।

वही दूसरी ओर गरुड़ पुराण में यह कथा भी प्रचलित है कि इसी दिन एक निषादराज अपने कुत्ते के साथ में शिकार खेलने गया था लेकिन उसे शिकार नहीं मिला था। वही थककर भूख प्यास से परेशान होकर एक तालाब के किनारे गया और जहा बिल्व वृक्ष के नीचे शिवलिंग था। अपने शरीर को आराम देने के लिए उसने कुछ बिल्व पत्र तोड़े जो कि शिवलिंग पर ही गिर गए। अपने पैरों को साफ़ करने के लिए उसने उनपर तालाब का जल छिड़का, जिसकी कुछ बूंदे शिवलिंग पर जा गिरी।

ऐसा करते समय एक तीर नीचे गिर गया जिसे उठाने के लिए वह शिव लिंग के सामने नीचे को झुका। इसी प्रकार शिवरात्रि के दिन शिव-पूजन की पूरी प्रक्रिया उसने अनजाने में ही पूरी कर ली। मृत्यु के बाद जब यमदूत उसे लेने आए, तो शिव के गणों ने उसकी रक्षा की और उन्हें भगा दिया। कहा जाता है कि भगवान शिव अनजाने में अपने भक्त को इतना फल देते हैं तो विधि-विधान से पूजा करने वाले भक्तों को किसी प्रकार की कमी नहीं रहती है।

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