कब है गणगौर व्रत? जानिए कैसे करे गणगौर और आसान पूजा विधि

कब है गणगौर व्रत? जानिए कैसे करे गणगौर  और आसान पूजा विधि
gangaur 2021 pooja vidhi

इस साल 2021 में गणगौर का व्रत 15 अप्रैल को है।  गणगौर को हिन्दू धर्म में बहुत ही धूमधाम से मनाए जाने वाला लोकपर्व होने के साथ साथ रंगबिरंगी संस्कृतियों का एक अनूठा उत्सव माना गया है। यह पर्व चैत्र शुक्ल की तृतीया को मनाया जानेवाला पर्व है विशेष तौर पर महिलाओं के लिए ही होता है। यह व्रत मुख्यत: राजस्थान का पर्व है जो प्रत्येक वर्ष चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है।

जैसा की हम  जानते है कि शिव पार्वती हमारे आराध्य पूज्य है और इसी दिन भगवान शिव ने भी पार्वतीजी एवं पार्वतीजी ने समस्त स्त्री-समाज को सौभाग्य का वरदान दिया था। ज्योतिष के अनुसार इस दिन सुहागिनें दोपहर तक व्रत रखती हैं। महिलाओं नाच-गाकर, पूजा-पाठ कर हर्षोल्लास से यह त्योहार मनाती हैं। हिन्दू समाज में चैत्र शुक्ल तृतीया का दिन गणगौर पर्व के रूप में मनाया जाता है।

जानिए कैसे करे गणगौर व्रत:

  1. गणगौर का व्रत करने के लिए चैत्र कृष्ण पक्ष की एकादशी को प्रातः स्नान करके गीले वस्त्रों में ही रहकर घर के ही किसी पवित्र स्थान पर लकड़ी की बनी टोकरी में जवारे बोना चाहिए।
  2. गणगौर के दिन विसर्जन तक व्रती को एकासना रखना चाहिए।
  3. जवारों को ही देवी गौरी और शिव या ईसर का रूप माना जाता है।
  4. गणगौर के पूजन के समय मां गौरीजी को सुहाग की वस्तुएं जैसे कि कांच की चूड़ियां, सिन्दूर, महावर, मेहंदी, टीका, बिंदी, कंघी, शीशा, काजल आदि चीजे चढाई जाती है। 
  5. सुहाग की सामग्री को चंदन, अक्षत, धूप-दीप, नैवेद्यादि से विधिपूर्वक पूजन कर गौरी को अर्पण किया जाता है।
  6. गौरीजी को भोग लगाया जाता है।
  7. भोग के बाद गौरीजी की कथा कही जाती है।
  8. कथा सुनने के बाद गौरीजी पर चढ़ाए हुए सिंदूर से विवाहित स्त्रियों को अपनी मांग भरनी चाहिए।
  9. कुंआरी कन्याओं को चाहिए कि वे गौरीजी को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
  10. सिंजारे को गौरीजी को किसी नदी, तालाब या सरोवर पर ले जाकर उन्हें स्नान कराएं।
  11. तृतीया को भी गौरी-शिव को स्नान कराकर, उन्हें सुंदर वस्त्राभूषण पहनाकर डोल या पालने में बिठाएं।

जानिए गणगौर पूजन का शुभ समय

गणगौर तीज पूजा का मुख्य पर्व 15 अप्रैल 2021, (गुरुवार) को मनाया जाएगा। इस वर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि का आरंभ 14 अप्रैल को दोपहर 12.47 मिनट से होगा तथा 15 अप्रैल को शाम 03.27 मिनट चैत्र शुक्ल तृतीया तिथि समाप्त होगी। गणगौर पूजा शुभ मुहूर्त की अवधि कुल 35 मिनट होगी, जो कि 15 अप्रैल को सुबह 05.17 मिनट से 06.52 मिनट तक रहेगी।

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