क्या आपकी कुंडली में तो नहीं है वह पांच योग जो कर देते है बर्बाद?

क्या आपकी कुंडली में तो नहीं है वह पांच योग जो कर देते है बर्बाद?
five yogas in kundali then ruins life

जन्म कुंडली वह पत्री है जिसमे आपके जन्म के समय से लेकर उसके ग्रह नक्षत्रों और राशियों की स्थिति का वर्णन होता है। हमारी जन्मकुंडली के अंदर दोनों ही प्रकार के योग होते है यानी कि शुभ एवं अशुभ योग दोनों उपस्थित होते है। सेलिब्रिटी एस्ट्रोलॉजर के अनुसार ऐसा माना जाता है कि यदि किसी भी जातक के शुभ योगों की संख्या अधिक होती है तो माना जाता है कि साधारण परिस्थितियों में जन्म लेने वाला व्यक्ति भी धनी, सुखी और पराक्रमी बनता है। लेकिन अगर अशुभ योग अधिक प्रबल होते है तो व्यक्ति कितने ही प्रयास करले उसके बावजूद भी हमेशा संकट में ही रहता है।

जन्मकुंडली में मौजूद होने वाले शुभ एवं अशुभ दोनों ही योगो के माध्यम से व्यक्ति के भाग्य का विश्लेषण किया जा सकता है। कुंडली में मौजूद ग्रहों स्थितियों से ही योगों का निर्माण होता है। अगर किसी की कुंडली में शुभ योग होते है तो उस जातक को अच्छे फल प्राप्त होते है। ज्योतिषी की भाषा में इन्हे राजयोग कहा जाता है। अगर इसके विपरीत योग है यानी कि अशुभ योग तो उस व्यक्ति के जीवन में कई तरह की परेशानियां सामने आती है। आज के लेख में हम आपको कुछ ऐसे योग बताने जा रहे है जिसकी वजह से इंसान को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

ग्रहण योग

अगर किसी जातक की कुंडली में किसी भी भाव में चंद्र के साथ में राहु या केतु बैठे हो तो ग्रहण योग बनता है। अगर इन ग्रह स्थिति में सूर्य भी जुड़ जाए तो व्यक्ति की मानसिक स्थिति अंत्यंत खराब हो जाती है। उस जातक का मस्तिष्क स्थिर नहीं रहता है। कार्य में बार बार बदलाव करता है। अगर आप ग्रहण योग के प्रभाव को कम करना चाहते है तो सूर्य और चंद्र की आराधना लाभ देती है।

चांडाल योग

अगर किसी भी जातक की कुंडली में गुरु और बृहस्पति के साथ में राहु बैठा हो तो दोनों की युति से कुंडली में चांडाल योग बनता है। अगर किसी भी व्यक्ति की कुंडली में चांडाल योग बन रहा है तो इसका मतलब यह होता है कि उस व्यक्ति को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस योग का ज्यादा से ज्यादा प्रभाव शिक्षा एवं धन पर होता है। जिस भी व्यक्ति की कुंडली में चांडाल योग होता है वह व्यक्ति शिक्षा के क्षेत्र में असफल होता है और साथ में कर्ज में भी डूबा रहता है।

षड्यंत्र योग

लग्न भाव का स्वामी यानी कि लग्नेश अगर अष्टम भाव में बिना किसी शुभ ग्रह के मौजूद होता है  में षड़यंत्र योग बनता है। अगर किसी भी जातक की कुंडली में यह योग होता है तो उसकी धन संपत्ति नष्ट होने की बहुत आशंका रहती है। षड्यंत्र योग को बहुत ही ख़राब माना जाता है। जिस स्त्री-पुरुष की कुंडली में यह योग हो वह अपने किसी करीबी के षड्यंत्र का शिकार होता है। धोखे से उसका धन-संपत्ति छीनी जा सकती है।

भाव नाश योग

जन्मकुंडली में जब भी किसी भाव का स्वामी त्रिक स्थान यानी कि छठे, आठवें और 12वें भाव में बैठा हो तो उस भाव के सारे प्रभाव नष्ट हो जाते हैं। उदाहरण के लिए यदि धन स्थान की राशि मेष है और इसका स्वामी मंगल छठे, आठवें या 12वें भाव में हो तो धन स्थान के प्रभाव समाप्त हो जाते हैं।

अल्पायु योग

अगर किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा पापी या क्रूर ग्रहों के साथ त्रिक स्थान पर बैठा हो तो यह स्थिति कुंडली में अल्पायु योग का निर्माण करती है। जिस कुंडली में यह योग होता है उस व्यक्ति के जीवन पर हमेशा संकट मंडराता रहता है।

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